बाल अधिकार क्या है?
1959 में बाल अधिकारों की घोषणा को 20 नवंबर 2007 को स्वीकार किया गया। बाल अधिकार के तहत जीवन का अधिकार, पहचान, भोजन, पोषण और स्वास्थ्य, विकास, शिक्षा और मनोरंजन, नाम और राष्ट्रीयता, परिवार और पारिवारिक पर्यावरण, उपेक्षा से सुरक्षा, बदसलूकी, दुर्व्यवहार, बच्चों का गैर-कानूनी व्यापार आदि शामिल है।
भारत में बच्चों की देखभाल और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये 2007 के मार्च महीने में राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा के लिये एक कमीशन या संवैधानिक संस्था का निर्माण भारत की सरकार ने किया है। बाल अधिकारों के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिये संगठन, सरकारी विभाग, नागरिक समाज समूह, एनजीओ आदि के द्वारा कई सारे कार्यक्रम आयोजित किये जाते है।
बाल अधिकार दिवस मनाने का उद्देश्य
भारत में हर साल बाल अधिकार दिवस बच्चों के अधिकार और सम्मान को सुनिश्चित करने के लिये मनाया जाता है।
हमें उनको पूरा विकास और सुरक्षा का आनन्द लेने का मौका देना चाहिये।
इस बात को सुनिश्चित करें कि बाल अधिकार के कानून, नियम, और लक्ष्य का पालन हो।
बाल अधिकारों को मजबूत करने के लिये समाज को लगातार इस पर कार्य करना होगा।
पूरे देश में बाल अधिकार योजना को फैलाना, प्रचारित और प्रसारित करना है।
देश के हर भाग में बच्चों के रहने की स्थिति को गहराई से निगरानी करें।
बढ़ते बच्चों के विकास में उनके अभिवावक की मदद करना। 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की जिम्मेदारी के लिये उनके माता-पिता को जागरुक करना।
कमजोर वर्ग के बच्चों के लिये नई बाल अधिकार नीति को बनाना और लागू करना।
बच्चों के खिलाफ होने वाली हिंसा, दुर्व्यवहार को रोकना, उनके अच्छे भविष्य के लिये उनके सामाजिक और कानूनी अधिकारों को प्रचारित करना।
देश में बाल अधिकार नीतियों को लागू करने की अच्छाई और बुराई का विश्लेषण करना।
देश में बच्चों के व्यापार के साथ ही शारीरिक शोषण के खिलाफ कार्य और विश्लेषण करना।
बाल अधिकार दिवस की आवश्यकता
यह सवाल हम सबके मन में उठता है कि आखिर बाल अधिकार दिवस की क्या आवश्यकता है पर ऐसा नही है इसकी आवश्यकता का अपना ही महत्व है। इस दिन का गठन ही बाल अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हुआ था। जैसा कि हम जानते आज के समय में बच्चों के जीवन में उपेक्षा, दुर्व्यवहार की घटनाएं काफी बढ़ गयी है। लोग अपने स्वार्थ के कारण बाल मजदूरी, बाल तस्करी जैसे अपराधों को करने में भी संकोच नही कर रहे है।
ऐसे में यह काफी आवश्यक है कि बच्चे अपने अधिकारों के विषय में जाने ताकि अपने साथ किसी तरह के भेदभाव या अत्याचार होने पर वह इसके खिलाफ आवाज उठा सके। इसके साथ ही बाल अधिकार दिवस के इस खास दिन बच्चों में आत्मविश्वास जगाने के लिए विद्यालयों, गैर सरकारी संस्थाओ और संस्थानों द्वारा कई तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते है जैसे कि भाषण प्रतियोगिता, कला प्रदर्शनी आदि। जो कि इस पूरे दिन को और भी खास बनाने का कार्य करने के साथ ही बच्चों के बौद्धिक विकास में भी सहायक होते है।
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